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किसी भी राष्ट्र या समाज की पहचान उसकी संस्कृति पर टिकी होती है। किसी भी संस्कृति को उच्चता पर ले जाने में उस समाज के संतों, शिक्षकों, कलाकारों, खिलाड़ियों, लेखन से जुड़े लोगों जैसे लेखकों, पत्रकारों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का बड़ा हाथ होता है। यही समाज को सींचते हैं एवं दूसरे गतिविधियों के लिए माहौल बनाते हैं। सनातन शक्ति डॉट इन इन्हीं लोगों को समर्पित है जो बिना किसी विशेष पहचान की चाह लिए समाज के निर्माण में लगे रहते हैं। हमारा प्रयास ऐसे हीं लोगों को दुनिया के सामने लाना है जो गांव कस्बों में रहते हुए भी अपने प्रयासों से समाज-संस्कृति को जीवित बनाए रखे हैं।

शिक्षा, संग एवं पर्यावरण ये तत्व हीं मूल रूप से व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं और अच्छा व्यक्तित्व अच्छे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारा प्रयास प्रर्यावरण रक्षा (वृक्षारोपण, साफ-सफाई इत्यादि) में लगे व्यक्तियों को सामने लाना है ताकि ऐसे कार्यों को और प्रोत्साहन मिले।

सनातन शक्ति डॉट इन सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा एवं शैक्षणिक माहौल हो इसके लिए समर्पित है। हमारा स्पष्ट मानना है कि गांव की तरक्की का सीधा संबंध सरकारी स्कूलों के शिक्षा स्तर से जुड़ा है। यही वो जगह है जहां से हम मानसिकता को प्रभावित कर सकते हैं एवं मजबूत मानसिक अवस्था हीं हमें सोचने, गरीबी से निकलने का मार्ग देती है। इसके लिए हम उन शिक्षकों को सम्मानित करने का मुहिम चला रहे हैं जो सीमित साधनों के बीच भी गरीब बच्चों को शिक्षित करने में ईमानदारी से लगे हैं। ऐसे शिक्षकों के योगदान को समाज के सामने लाना हमारा प्रथम दायित्व है। हमारा प्रयास समाज के उन लोगों को भी समाज के विस्तृत पटल पर लाना है जो अपने छोटे-छोटे प्रयासों द्वारा लोगों की जिंदगी में सहायता पहुंचा रहे हैं।

भारत विभिन्न धर्मों का जन्म स्थान है जिनमें कई फलने-फूलने के बाद कालक्रम में लुप्तावस्था में आ गए, जबकि बाहर से आए धर्म ज्यादा विस्तार पा रहे हैं। क्या हिन्दू धर्म भी अपने उद्भव स्थल से अन्य धर्मों की भांति विलुप्तावस्था की ओर जाएगी? अथवा वो कौन से कारण होंगे जो यह अक्षुण्ण रहेगी। जैन एवं सिख समाज कैसे आधुनिक विचारों से सामंजस्य बैठा रहा है? सनातन शक्ति डॉट इन भारतीय समाज के संदर्भ में इन विषयों पर अध्ययन कर रहा है। इसके साथ हीं बौद्ध समाज (भारत एवं बौद्ध देशों) के गांवों-शहरों में होने वाले बौद्ध क्रिया-कलापों एवं उनके वास्तविक जीवन पद्धति के तुलनात्मक अध्ययन एवं संकलन का भी कार्य कर रहा है। इसके तहत बौद्ध, जैन, सिख एवं हिन्दू समाज द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों का विवरण भी इस वेबसाईट पर प्रकाशित होगी।

सादर निवेदित -
प्रभात कुमार
संस्थापक

सनातन शक्ति डॉट इन

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The identity of any nation or society depends on its culture. In order to take any society to their cultural high the role of Saints, teachers, artists, players, writers, journalists and social workers of that society have a great deal of hands. They nourish the society and create an atmosphere for other activities. Sanatanshakti.in is dedicated to those people who are engaged in the formation of a society without any special recognition. Our effort is to bring such people to the world, who, while living in the village and towns, keeps their culture alive by their efforts.

Education and Environment basically these two elements create personality. And good personality plays an important role in the formation of good society. Our endeavour is to bring out such type of people who are engaged in the environment protection (plantation, cleanliness, etc.) so that such works are encouraged.

Sanatanshakti.in is dedicated to better education and educational environment in government schools. We clearly believe that the progress of the village is perceptibly associated to the level of education of government schools. This is the place from which we can influence the mentality. And only a strong mental status can think about the way to overcome from poverty. For this, we are campaigning to honour those teachers who are doing their honest effort to educating poor children even among the limited resources. Our effort is to bring those people in front of a wider society, who are endeavoring to improve the society with their small efforts.

India is the birthplace of various religions. From which many religion have go down after the great history. Whereas the religion that came from outside India is spreading rapidly. Will the Hindu religion also go towards extinction like other religions? Or what will be the causes that it will remain intact? How is Jain and Sikh society reconciled with modern ideas? The Samyak Samaj is studying these subjects in the context of Indian society.

In addition, we are also interested in comparative study of life style of contemporary Buddhist Society (India as well as other Buddhist country) with compare to old Buddhist Society. Under this, compilation of the details of programs run by Buddhists, Jains, Sikhs and Hindu society will also be published on Sanatanshakti.in.


with regard -
Prabhat Kumar
Founder

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Sadhak Prabhat Kumar Founder indianstates.in